सोमवार, 30 जून 2014

chhand salila: tribhngi chhand -sanjiv

छंद सलिला:
त्रिभंगी Roseछंद 

संजीव
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छंद-लक्षण: जाति लाक्षणिक, प्रति चरण मात्रा ३२ मात्रा, यति १०-८-८-६, पदांत  गुरु, चौकल में पयोधर (लघु गुरु लघु / जगण) निषेध।

लक्षण छंद
रच छंद त्रिभंगी / रस अनुषंगी / जन-मन संगी / कलम सदा
दस आठ आठ छह / यति गति मति सह / गुरु पदांत कह / सुकवि सदा

उदाहरण
. भारत माँ परायी / जग से न्यारी / सब संसारी नमन करें
    सुंदर फुलवारी / महके क्यारी / सत आगारी / चमन करें
    मत हों व्यापारी / नगद-उधारी / स्वार्थविहारी / तनिक डरें
    हों सद आचारी /  नीति पुजारी / भू सिंगारी / धर्म धरें  

     
२. मिल कदम बढ़ायें / नग़मे गायें / मंज़िल पायें / बिना थके     
    'मिल सकें हम गले / नील नभ तले / ऊग रवि ढ़ले / बिना रुके 
    नित नमन सत्य को / नाद नृत्य को / सुकृत कृत्य को / बिना चुके 
    शत दीप जलाएं / तिमिर हटायें / भोर उगायें / बिना झुके 

३. वैराग-राग जी / तुहिन-आग जी / भजन-फाग जी / अविचल हो 
    कर दे मन्वन्तर / दुःख छूमंतर / शुचि अभ्यंतर अविकल हो     
    बन दीप जलेंगे / स्वप्न पलेंगे / कर न मलेंगे / उन्मन हो    
    मिल स्वेद बहाने / लगन लगाने / अमिय बनाने / मंथन हो 
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(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, काव्य, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया,  तांडव, तोमर, त्रिभंगी, त्रिलोकी, दण्डकला, दिक्पाल, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदन,मदनावतारी, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, मृदुगति, योग, ऋद्धि, रसामृत, रसाल, राजीव, राधिका, रामा, रूपमाला, लीला, वस्तुवदनक, वाणी, विरहणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुद्ध ध्वनि, शुभगति, शोभन, सरस, सार, सारस, सिद्धि, सिंहिका, सुखदा, सुगति, सुजान, सुमित्र, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)
chhand, tribhangi chhand, acharya sanjiv verma 'salil',
chhand salila:  tribhngi chhand  -sanjiv

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